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समय है खुद को री-इंवेंट करने का।

आज पूरी दुनिया घरों में कैद है, सब कुछ बंद और ठहरा है। सभी के पास समान रूप से बिना भेदभाव के उपलब्ध एक ही चीज है वह है-समय। समय अपने आपको समाज को और देश को री-इनवेंट करने का। समय, अपनी शक्ति को पहचानने का, अपने अंदर की ऊर्जा को जागृत करने का,अपने अंदर के आत्मविश्वास को जगाने का। समय है, अपनी कमजोरियों को दूर करने का,अपने अवगुणों का,अपनी बुरी आदतों का त्याग करने का,अपने कमजोर पक्ष का विश्लेषण करने का। समय है, अपने मौजूदा अवसर को पहचानने का, अपने छुपे हुनर को तराशने का, अपने गुणों को पैना करने का,अपनी काबिलियत से आगे आने का। समय है, अपनी आशंकाओं को शांत करने का,अपने ऊपर आ रहे खतरे को पहचानने का,अपने भय को भगाने का,अपने डर पर विजय पाने का। समय है, अपने आसपास सही, सत्य, और उचित को पहचान कर धारण करने का। समय है, अपने आसपास के गलत, असत्य,अनुचित का विरोध करने का उसका त्याग करने का। समय है अपने आपको शुद्ध और पवित्र करने का। समय है मर्यादा में रहकर परिवार और अपने रिश्तों को समझकर उन्हें संवारने का। समय है अपने संस्कारों अपनी संस्कृति को दोबारा पवित्रता से धारण करने का। समय है अपने...

वीर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर न कहकर मैं अग्रणी क्रांतिकारी, प्रखर राष्ट्रवादी, लेखक, कवि, भाषण कला में निपुण वीर सावरकर कहूँगा।  अटल जी की भाषा में कहें तो सावरकर मने तेज,त्याग,तप, तत्व,तर्क,तारुण्य, तीर,तलवार,तिलमिलाहट,तितिक्षा, तीखापन,तिखट। 1857 की क्रांति को अंग्रेजों ने पहले सैनिक विद्रोह, गदर कहते हुए इनकार कर दिया था सावरकर ने ही अपनी किताब द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस में अंग्रेजी हुकूमत के दस्तावेजों के आधार पर इसे (प्रामाणिक क्रांति) प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में प्रमाणित किया था। आगे के वर्षों में भगत सिंह, पुरुषोत्तम दास टंडन, रासबिहारी बोस सरीखे क्रांतिकारियों ने इसे प्रेरणा स्रोत माना।  नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मदद से इसका तमिल संस्करण भी प्रकाशित किया गया था। दुःख इस बात का हैं कि आजादी के बाद हमारा इतिहास वामपंथी विचारधारा और एक परिवार के लोगों से प्रभावित रहा। इसी कारण से वीर सावरकर और उनके साथ के क्रांतिकारी जिनमें वासुदेव बलवंत फड़के, चाफेकर बंधु, श्यामजी कृष्ण वर्मा, भीकाजी कामा, विरेंद्र चट्टोपाध्याय, मदनलाल, अनंत लक्ष्मण, औरोबिंदो घोष, प्रफुल्ला चाकी, खु...